हरियाणा
में यदि घर में लड़के की शादी
हो तो बारात चढ़ने के बाद घर में सिर्फ औरतें ही रह जाती थी. घर के आदमी व लड़के सभी बारात में चले जाते थे आज की तरह औरतें पहले बरात में नहीं जाती थी. अतः रात में खाना खाने के बाद परिवार
व् अड़ोस-पड़ोस की सभी औरतें मिल कर रात भर गाती बजाती थी. वे एक खेल करती थी जिसे कहीं खोड़िया
तो कहीं बोकड़ा और कहीं टुण्डलिया कहा जाता है. यह परंपराज़
आज भी कायम है. रात
में खिचड़ी बनती है और सब औरतें रात को घी-खिचड़ी खाती हैं. खोड़िया में एक औरत या लड़की घड़े में बोलती है ... ऐ री माँ मेरा ब्याह कर दे नहीं तो .... (
किसी लड़के/आदमी का नाम लेती हैं) ले कीं नैं भाज जां गा ..............
Have nothing in your house that you do not know to be useful, or believe to be beautiful. - William Morris
Sunday, May 30, 2021
||DESI KHODIYA||हरियाणवी खोडिया||HARIYANVI CULTURE||
Labels:
haryanvi tradition,
Khodiyaa
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